Top lable sayri

 Hindi  and sayri:

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

उस परी का सेहर यारो कुछ कहा जाता नहीं


साक़ी हमें क़सम है तिरी चश्म-ए-मस्त की

तुझ बिन जो ख़्वाब में भी पिएँ मय हराम हो


न कीजे वो कि मियाँ जिस से दिल कोई हो मलूल

सिवाए इस के जो जी चाहे सो किया कीजे


जो अपने जीते-जी को कुएँ में डुबोइए

तो चाह में किसी की गिरफ़्तार होइए


अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है

कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है


इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं

आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं


इस शहर को रास आई हम जैसों की गुम-नामी

हम नाम बताते तो ये शहर भी जल जाता


जिन बातों को सुनना तक बार-ए-ख़ातिर था

आज उन्हीं बातों से दिल बहलाए हुए हूँ


जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो

अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो


ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ

हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते


जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया

माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को


उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ

अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ


आते आते मिरा नाम सा रह गया

उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया


ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ

मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

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